भाषा के रूप और गुण
हर भाषा की अपनी एक खूबी होती है । उसका एक गुण होता है जो उस भाषा को दूसरी भाषा से अलग करता है और साथ ही दूसरी भाषा के साथ जोड़ता है । जिससे उस भाषा के साथ साथ दूसरी भाषा सीखने में भी आसानी हो । यह गुण हर भाषा में होता है चाहे वो हिन्दी हो पंजाबी हो तमिल हो या फिर इंग्लिश । भाषा बिना गुण के बेकार है । श्री मान गोथे के अनुसार “जो एक विदेशी भाषा को नहीं जानता वह अपनी भाषा के बारे में कुछ नहीं जानता” के कथन से मैं पूरी तरह से सहमत हूँ । पर मैं इस कथन में थोड़ा सा सुधार भी करना चाहता हूँ मेरे अनुसार हमें अपनी भाषा (मूल भाषा) के अलावा कम से कम किसी एक अन्य भाषा को जरूर जानना चहिये । क्योंकि ऐसा नहीं करने पर हमारी सीमायें बहुत सीमित हो जाती है । वह अन्य भाषा, कोई भी हो सकती है जिसमे विदेशी भाषा भी शामिल हैं । हम जितनी भी भाषा सीख लें वह हमारे लिए सदैव अच्छा ही रहेगा है । हर भाषा के पीछे मर्म, प्यार, सोहार्द और हमेशा अच्छा करने की भावना होती है । जिसे हम एक नए सिरे से शुरू करके एक नए मुकाम पर ले जाते हैं और उसको एक नया आयाम देते हैं । World Language Communication का ये हिन्दी ब्लॉग हिन्दी भाषा को समर्पित ऐसा ही एक ब्लॉग है, जिसका उद्देश्य हिन्दी के बढ़ते प्रभाव को लेकर शुरू किया है । इस ब्लॉग के जरिये आप हिन्दी के अलावा और अन्य भाषाओ के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और साथ ही जॉब के कई अवसर के द्वार भी आपके लिए खुलेंगे । चाहे आप किसी भी क्षेत्र से आये हों बस भाषा पर आपकी अच्छी पकड़ होनी चाहिए है । आपके सुझाव और सहयोग हमेशा हमारे लिए प्रेरणा बने रहेंगे ।
विपुल चौधरी
कृपया अपने सुझाव और लेख हमें ईमेल करे ---- csahab (at) gmail.com
No comments:
Post a Comment