Tuesday, September 21, 2010

'धूप-छाँव' का सतरंगी आयोजन

रामपुर, उत्तरप्रदेश में जन्म, दिल्लीविवि में एमए तथा रोहतक विवि से
बीएड। ब्रेललिपि में महारत हासिल। अटलांटा में पार्ट टाइम नौकरी के अलावा
हिंदी शिक्षण। अटलांटा में चल रहा धूप-छाँव नाट्‍य संगठन इन्हीं के दिमाग
की उपज है।
जीवन सुख-दु:ख का खेल है और हर क्षण उसका रूप बदलता रहता है। इस विचार को
विविध तरीके से आगे बढ़ा रहा है हिन्दी नाट्‍य संगठन धूप-छाँव। संगठन के
आयोजनों में नृत्य नाटिका, कव्वाली, नाटक, साक्षात्कार, कविता, गीत आदि
विभिन्न ‍विधाओं का सम्मिश्रण होता है।
गत दिनों एमरी विश्वविद्यालय में संगठन ने ऐसा ही एक खुशनुमा आयोजन
संपन्न किया। उल्लेखनीय है कि 'धूप-छाँव' नामक यह संगठन नवप्रयोगों के
मार्फत न सिर्फ मनोरंजन प्रदान करता है ‍बल्कि विवादों से परे रहकर
रचना‍धर्मिता को भी बढ़ावा देता है। 'धूप-छाँव' का एक उद्देश्य हिंदी
बचाओ अभियान भी है।
रंगारंग कार्यक्रम की शुरुआत नन्हे कलाकारों ने ढोल-नगाड़े बजाकर और
संगठन की सबसे बुजुर्ग सदस्य सुदर्शन बाहरी ने दीप जलाकर की। इसके बाद
जीवन के तीन पड़ाव दिखाकर संगठन के नाम धूप-छाँव को नए अंदाज में सार्थक
किया गया। बुढ़ापा, जवानी और बचपन के प्रतीकों के जरिए अपनी जड़ों को नमन
किया गया।दूसरा कार्यक्रम था- 'हम लाए हैं उस देश से यार जाँ निकाल के'।
कलाकार थे सुपर्णा पाठक, ज्योति प्रकाश, वंदना टाँटिया, गुरपदेश बेदी,
आद्या खन्ना और नीलाँक पाठक। संगीत दिया था राजन शर्मा व विजय टंडन ने।
गायकी मंडली में श्याम तिवारी, तृप्ता शर्मा, अनिल भगत, सुपर्णा पाठक
शामिल थे।
अब वह दिन दूर नहीं जब भाजी-तरकारी तो मिलें स्टोर में और दुकान वाला
आपसे सब्जी का ब्रांड पूछे और मोबाइल फोन मिलें गली-मोहल्लों में ठेलों
पर तो कैसा लगेगा, ये ही था 'इस झलकी में' जिसमें भाग लिया विकास खन्ना व
कमलेश चुग ने। इसे लिखा था संध्या भगत ने।
भारत के बनारस शहर में बसा एक परिवार मध्यम आय वाले परिवार की जीवन शैली
बताता है और हर हाल में खुश रहना चाहता है। ' लागा चुनरी में दाग' फिल्म
के गीत नृत्य के जरिए इसे प्रस्तुत किया गया। भाग लेने वाले थे- एमिली
पॉलकॉफ, अद्रिता खन्ना, डॉली पटेल, नेहा सक्सेना और लक्ष्मी चंद्रशेखर।
इसके बाद व्यंग्य नाटिका 'नकल करो पर अकल से' प्रस्तुत की गई। इसमें धोबी
बने परेश जैन, घर की मालकिन बनीं रेनु कुमार। उनका बेटा तनिष्क जैन।
आधुनिक धोबी बने शाज उस्मानी और मालकिन बनीं तौसीफ चौधरी। बेटी बनीं
सौम्या खन्ना। इसे लिखा था संध्या भगत ने।
व्यंग्यात्मक साक्षात्कार कार्यक्रम 'काफी विद रोमा' ने भी खूब हँसाया।
यह कार्यक्रम संगठन के मुख्य उद्देश्य 'हिंदी बचाओ अभियान' पर सटीक
निशाना था।
साक्षात्कारकर्ता थीं मंजु तिवारी। सुपर फिल्म स्टार सलमान कपूर बने खगेश
पाठक। हँसी से ओत-प्रोत कव्वाली 'कव्वाल अटलांटा वाले' में अमेरिकी रंग
में रंगते जाते भारत, पाकिस्तान व अन्य देशों से आए लोगों की दास्तान थी।
भाग लेने वाले कव्वाल थे हारमोनियम पर राजन शर्मा, तबले पर विजय टंडन।
कलाकार थे तलत अल्वी, तृप्ता शर्मा, विजय खन्ना, आसिफ फरुखी, वीना
काटदरे, रेनु कुमार, गुरुपदेश बेदी, मनजीत बेदी, निहित तिवारी, हेमा जैन
और कमलेश चुग। पुरानी धुन को नए शब्दों में पिरोया संध्या भगत ने।

इसके बाद हिंदी के प्रसिद्ध लेखक के.पी. सक्सेना द्वारा लिखित नाटक पर
आधारित मनोरंजक नाटिका 'लालटेन की वापिसी' प्रस्तुत की गई। इसमें भाग
लिया नीमा पटेल, सीमा सक्सेना, तराना विज, अनुज जैन, विजय गौड़ ने। इसके
बाद नुक्कड़ नाटक 'जमूरा उस्ताद' अमेरिका में आकर बसे देसियों की दस खास
बातें, प्रस्तुत किया जमूरा आसिफ फरूखी और उस्तान नवीन त्यागी ने। साथी
कलाकार थे हेमा जैन, तनिष्क जैन, विजय गौड़, महा फरूखी और गुरुपदेश बेदी।

अपनी साझी बने इस संदेश को पेश किया गया एक हास्य नाटक 'गड़बड़झाला' से।
कलाकार थे- परेश जैन, डॉली पटेल, एमिली पॉलकॉफ, लक्ष्मी चंद्रशेखर, वीणा
कातदरे, सरिता खन्ना, ज्योति डांडोना, मनोजकुमार, तृप्ता शर्मा व संध्या
भगत ने। का र्यक्रम का समापन 'होली के रंग' कार्यक्रम से हुआ। फिर आई
प्रेमी युगल की नटखट होली जिसमें भाग लिया तराना विज और रफीक बाचा ने।

माइक संयोजन का काम माधव कातदरे और आशाकुमार ने संभाला। मंच सज्जा व मंच
के पीछे का कार्य संभाला सदफ़ फरूखी व साथी चिंती बाली, बिमल पाठक व विजय
टंडन ने। स्वागत कार्तिकेय भगत, निहित तिवारी, अंकित तिवारी व अनिल नागर
ने किया। भोजन व्यवस्था श्याम तिवारी ने संभाली। रोशनी व्यवस्था अनिल भगत
की थी। छायांकन अंजली कुमार का था। वीडियो निखिल डांडोना व अन्य का।
संगीत दिया गंधर्व भगत ने। मुख्य सूत्रधार थे मंजु तिवारी व असलम परवेज।

कार्यक्रम में दानकर्ता थे- मनोज कुमार गोविंद, विजय गौड़, कैलाश
खंडेलवाल, ललित ढींगरा, एमरी विश्वविद्यालय साउथ एशियन स्टडीज, कमलेश
चुग, वीणा कातदरे, रेनुकुमार, असलम परवेज, नीमा पटेल, विजय टंडन, सुपर्णा
पाठक, दिनेश पुरोहित, ज्योति सिन्हा, निशी शर्मा, मंजु तिवारी, तलत
अल्वी, अरुण मिश्रा और संध्या भगत।

उल्लेखनीय है कि कम दरों पर खाने की व्यवस्था करने के लिए एन्जी ब्रूवर,
जोयस फ्लूसिगर व दीपक बाहरी ने सहयोग दिया। इसके अलावा पाकिस्तानी व
भारतीय ग्रोसरी स्टोर्स ने अपने पोस्टर लगाकर सहयोग ‍प्रदान किया तथा
उत्साह बढ़ाया।


गर्भनाल से साभार 


सूचना के द्वारा - 
विजय कुमार मल्होत्रा
पूर्व निदेशक (राजभाषा),
रेल मंत्रालय,भारत सरकार




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