Monday, September 27, 2010

रूस में हिंदी



भारतीय राजभाषा हिंदी की महत्ता अब लगता है कि पूरी दुनिया की समझ में आ
रही है तभी तो दुनिया के विभिन्न देशों में रहने वाले बहुत सारे भारतीय
मूल से इतर लोग भी अब हिंदी को बहुत सम्मान देने लगे हैं. रूस हमारा बहुत
पुराना  सहयोगी रहा है और हम पर हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए  दोनों
देशों की सरकारें बहुत प्रयास किया करती हैं. जिस तरह से पूरी दुनिया से
हिंदी दिवस या हिंदी दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम मनाये जाने के समाचार आते
हैं तो वे देश में एक नए उत्साह का संचार करने वाले होते हैं. भाषा कभी
भी विकास की सीढ़़ी में बाधा नहीं होती वरन् वह तो विकास का एक आयाम होती
है फिर भी देशों और क्षेत्रों में भाषा के नाम पर झगड़े होते ही रहते
हैं.
          आज हिंदी जिस तरह से सारी दुनिया के लोग सीखना चाहते हैं उस
अनुपात में हम उन्हें विशेषज्ञ उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं. यह काम भारत
सरकार और देश की अन्य शैक्षिक संस्थाओं को देखना चाहिए कि अगर कोई भी
हिंदी का बारे में जाना और समझना चाहता है तो हम उसके लिए हर संभव मदद
उपलब्ध कराएँ. भाषा से जुड़ा मसला ऐसा होता है कि अगर कोई विशेष भाषा
बोलने और समझने वाला देश अपने यहाँ से इसके विशेषज्ञों को नहीं भेजे तो
उस विशेष भाषा का कोई महत्त्व नहीं रह जाता है. संसाधनों के अभाव में जो
लोग इसे सीखना भी चाहेंगे वे भी कुछ नहीं सीख पाएँगे. देश को अब यह समझना
ही होगा कि भाषा को फैलाने के लिए अब हम सभी को मिलकर प्रयास करना होगा
क्योंकि हमारे बिना कोई और क्यों हिंदी के लिए आगे आना चाहेगा ?
        अब भी समय है कि भारतीय मेधा का लोहा मानने वाली दुनिया को यह
भी दिखा देना चाहिए कि हम अपनी भाषा को पूरे विश्व की भाषा बनाने के लिए
कृत संकल्पित हैं. हम अब इस बात को दिखा देंगे कि दुनिया में कोई भी देश
अगर हिंदी सीखना चाहता है तो वह हमारे साथ आ जाये हर स्तर पर हम उनकी मदद
कर भाषाई ज्ञान को बढ़ाने में पूरी मदद करने वाले हैं. भले ही संयुक्त
राष्ट्र ने हिंदी को अपनी भाषाई सूची में कोई स्थान नहीं दिया हो पर अब
हम इसे यह स्थान दिलाकर रहेंगे.


सौजन्य से 

http://seedhikharibaat.blogspot.com/2010/09/blog-post_26.html


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